अक्षय तृतीया का सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। लेकिन इसे वैसे कार्यों के लिए मानना चाहिए जिसका क्षय स्वभाविक रूप में भी नहीं हो । हम सभी जानते हैं कि अर्जित किये हुए धन-दौलत सब छोड़कर इस शरीर का ही क्षय हो जाना है इसके बावजुद हम सभी सोना, चांदी, आभूषणादि को खरीदने के लिए यथाशक्ति प्रयास करते हैं । हम सभी किसी न किसी कारण से इसको या तो बेच लेते हैं या किसी और को उपहार स्वरूप प्रदान कर देते हैं किसी न किसी रूप में इसका क्षय ही हुआ तो आप स्वयं समझ सकते हैं कि जो आप करते हैं वो गलत करते हैं । इसका चलन हो गया है इससे व्यापारी वर्ग को फायदा होता है हां आभूषणादि शुभ मुहुर्त में खरीदा गया ये अच्छी बात है । लेकिन हमारे द्वारा खरीदा हुआ समान अक्षय होगा इसकी संभावना नगण्य होती है ।
तो क्या करें ?
आप और हम सभी पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं और हमारे जैसे ज्योतिष आपको बताते हैं कि पंचम भाव से पूर्वार्जित कर्मों का फल प्राप्त होता है अर्थात पिछले जन्म में किये हुए पुण्य एवं पापों का फल । हम सभी जानते हैं कि जप, तप, दानादि का फल कभी क्षय नहीं होता इस जन्म में न सही अगले जन्म में भी प्राप्त होता है । यदि हमलोग अक्षय तृतिया के दिन जप, तप, दानादि करें तो बहुत लाभ होगा ऐसा मानना चाहिए ।
हम अक्सर ऐसा देखते हैं कि लोग गृहप्रवेश, विवाह आदि कार्य को आज के दिन यह मानकर कर लेते हैं कि आज का मुहूर्त स्वयं सिद्ध है लेकिन ये भी करना तब गलत हो जाता है जब विवाह या गृहप्रवेश आदि के मुहूर्त इस दिन न हो । हम सभी सुनी-सुनायी बातों को विशेष मानते हैं यथार्थ जानने का प्रयास नहीं करते ये हमारा दोष है इसे दुर करना चाहिए ।
पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण व पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने, भगवत पूजन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन का भी अक्षय फल होता है । यह तिथि यदि सोमवार व बुधवार को आए तथा रोहिणी या कृतिका नक्षत्र हो तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक होता है। इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही उत्तम मानी जाती है। आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित करने से पाप का क्षय और पुण्य अक्षय होता है ।
माघ शुक्ल पक्ष पंचमी से प्रारंभ वसंत का अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ होता है इसलिए आज के दिन यदि गर्मी से राहत देने वाले वस्तु जल से भरे घडे, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, आदि दान करना चाहिए इसका लाभ शास्त्रों में बताया गया है । गौ, भूमि और स्वर्ण आदि का दान तो सर्वश्रेष्ठ है ही । अपने सामर्थ्य के अनुकुल दान का लाभ होता है इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए ।
आज के लिद विशेष रूप से लक्ष्मी की अराधना की जाती है ।
धन से ही समस्त भोग संभव है इसलिए लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए और भोग के उपरान्त मोक्ष की ही कामना होती है इसलिए विष्णु की उपासना करनी चाहिए । हमारे विद्वानों ने कहा भी है ”मोक्ष मिक्षेत जनार्दनः”।
युगाति तिथियों के रूप में भी अक्षय तृतीया का महत्व है साथ ही आज के ही दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुयी थीं, पीताम्बरा देवी का प्रादुर्भाव भी आज के दिन कहा गया है साथ ही बद्रीनाथ के द्वार आज के ही खुलते हैं महाभारत में पांडव अज्ञात वास के समय जिस पात्र का उपयोग करते थे वो भी श्री कृष्ण से आज के ही दिन प्राप्त हुआ था ऐसे कई तथ्य आज के दिन को विशेष बनाने के लिए शास्त्र सम्मत हैं ।
जैन धर्मावलम्बियों का महान धार्मिक पर्व इक्षु तृतीया अक्षय तृतीया को ही कहते हैं । इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने एक वर्ष की तपस्या पूर्ण करने के पश्चात इक्षु (गन्ने) रस से पारायण किया था। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर श्री आदिनाथ भगवान ने सत्य व अहिंसा का प्रचार करने के लिए संसार के भौतिक एवं पारिवारिक सुखों का त्याग कर जैन वैराग्य को अंगीकार कर लिया।
हम हमेशा कहते हैं ज्ञान हो तो कल्याण हो आप भी इसको मानें और यथार्थ को समझें आप सामर्थ्यवान हैं तो आभूषण खरीद कर गर्व महशुस न करें साथ ही जिनके पास आभाव हो वो सोना-चांदी न खरीद सकने का अफशोस न करें ये सब मिथ्या है । धर्म करें धार्मिक आचरण रखने का अभ्यास करें कुछ नहीं तो परोपकार करें ।
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