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Wednesday 4 April 2018
धर्म करें या खरीदारी
अक्षय तृतीया का सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। लेकिन इसे वैसे कार्यों के लिए मानना चाहिए जिसका क्षय स्वभाविक रूप में भी नहीं हो । हम सभी जानते हैं कि अर्जित किये हुए धन-दौलत सब छोड़कर इस शरीर का ही क्षय हो जाना है इसके बावजुद हम सभी सोना, चांदी, आभूषणादि को खरीदने के लिए यथाशक्ति प्रयास करते हैं । हम सभी किसी न किसी कारण से इसको या तो बेच लेते हैं या किसी और को उपहार स्वरूप प्रदान कर देते हैं किसी न किसी रूप में इसका क्षय ही हुआ तो आप स्वयं समझ सकते हैं कि जो आप करते हैं वो गलत करते हैं । इसका चलन हो गया है इससे व्यापारी वर्ग को फायदा होता है हां आभूषणादि शुभ मुहुर्त में खरीदा गया ये अच्छी बात है । लेकिन हमारे द्वारा खरीदा हुआ समान अक्षय होगा इसकी संभावना नगण्य होती है ।
तो क्या करें ?
Monday 19 March 2018
दिल बड़ा हो और क्षेत्र भी
नव वर्ष के आगे हिन्दू क्यों ?
केप्लर के सिद्धान्त से 57 साल पहले ही विक्रम संवत अर्थात विक्रम वर्ष की स्थापना हुई । समय की गणना की प्रणाली जो हमारे सनातन धर्म के सिद्धान्तों से प्राप्त हुआ है उसे हिन्दू नववर्ष बोलकर इसका दायरा इतना कम क्यों कर दिया जाता है ?
हमें व हमारे समाज को अपने सम्प्रदाय का महिमामंडन करने और दुसरे सम्प्रदाय के लोगों को नीचा दिखाने का अवसर हमेशा सरकार के साथ-साथ धर्मधुरंधर लोग देते रहते हैं । यहां तो सिर्फ ज्ञान की बात है कि विक्रम संवत एक समय गणाना की प्रणाली है जिसे सूर्य एवं चन्द्रमा दोनों के गति के उपर आधारित है । यहां चन्द्र मास की बात होती है अमावश और पूर्णिमा इसके पुरक हैं ।
हम समझ सकते हैं कि हमारे वेद आधारित गणित का फायदा विश्व को कितना हुआ है भले ही वो हमसे आगे हों लेकिन ब्रह्मांड के विषय में जानने कि जिज्ञासा भी वेद से ही प्राप्त है ।
केप्लर के सिद्धान्त जिसके आधार पर 1 जनवरी को नव वर्ष मनाते हैं जो सिर्फ सूर्य पर ही आधारित है जिसे हम सौर वर्ष के रूप में जानते हैं ।
आज हमें बहुत दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है कि हम सनातन धर्म को सम्प्रदाय विशेष का जागीर समझ लिए हैं और इसे संकुचित करने का हमेशा प्रयास करते रहते हैं । पूर्व की भांति आज भी ज्ञान, बुद्धि, विवेक, में हमेशा आगे हैं और रहेंगे जो सनातन सत्य को मानते हैं ।
हमें गर्व है कि हम हिन्दु हैं और सनातन सत्य को मानना मेरा धर्म है ।
सनातन सत्य ही सबका धर्म है जो दुसरे सम्प्रदाय के लोग इसे तत्व से जानते हैं उन्हें अधिक गर्व होता है कि हम अन्य सम्प्रदाय के लोग हैं और सनातन सत्य को मानते हैं ।
सनातन सत्य को सनातन धर्म कहें और मानने वाले सभी सम्प्रदाय के लोग हों, सबका कल्याण हो, एक दुसरे के प्रति सद्भाव हो इससे अच्छा संदेश विश्व के लिए कुछ भी नहीं हो सकता ।
हम हिन्दु हैं हम सनातन धर्म को तत्व से जानते हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हम इसका प्रचार प्रसार विश्व स्तर पर करें अर्थात हिन्दु किसी सम्प्रदाय विशेष का नाम नहीं है यह तो सनातन धर्म का प्रचारक है ।
हम अपने विचार को संकुचित न करते हुए पुनः कहते हैं -
नववर्ष मंगलमय हो
नेपाल के लिच्छव वंश के प्रथम राजा धर्मपाल भूमिवर्मा विक्रमादित्य जो इसके प्रणेता हैं उनका धन्यवाद !
नेपाल देश का भी धन्यवाद जहां आज भी विक्रम संवत को ही राष्ट्रीय संवत माना गया है ।
Tuesday 13 March 2018
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