Wednesday, 25 October 2017

आन्दोलन से निकले नेता की जात नहीं होती


हम लोग सभी यह सुनते रहते हैं कि कुत्तों की भी जात होती है, हम लोग तो इन्सान ही हैं बिना जात के अपनी पहचान नहीं । सौभाग्य और दुर्भाग्य दोनों जात से ही जुड़ जाता है । कोई कहता है कि मैं ब्राह्मण हूँ कर्म चाहे किसी भी प्रकार का हो यह उसका सौभाग्य हुआ और कोई कितना भी विद्वान क्यों न हो वह दलित है तो यह उसका दुर्भाग्य है जबकि गीता में श्री कृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहा है -
ब्राह्मणक्षत्रियविशां शूद्राणां च परन्तपः ।
कर्माणि प्रविभक्तानि स्वभावप्रभवैर्गुणैः ।।
हे परंतप! ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्रों के कर्म स्वभाव से उत्पन्न गुणों द्वारा ही उनके वर्णों को विभक्त किया गया है ।
लेकिन हम या हमारे पूर्वज जिन्होंने भी जाति प्रथा को शास्त्रों की आढ़ में बढ़ावा दिया है वह कोटि वर्षों से नरक के भोगी होंगे तथा जो कोई भी आज के दिन इसका लाभ प्राप्त करने तथा मानवता को तोड़ने का हमेशा प्रयास करते हैं उसे भी जन्म-जन्मांतर तक नरक भोगना पड़ेगा ।
अब हम यहां कहना चाहेंगे ऐसे लोग संविधान का हनन करते हैं कि नहीं,  नहीं पता लेकिन सनातन सत्य को नकारते हैं, पाप लगेगा घोर पाप ।
हम पूर्वजों द्वारा प्रतिपादित (न कि शास्त्रों द्वारा ) नियमों के अनुसार ब्राह्मण हूँ इसका गर्व कभी नहीं हुआ लेकिन कभी न कभी इसका नुकसान जरूर हुआ है । हम जानते हैं हर किसी जाति के लोगों को अपनी जाति के नाम पर कभी न कभी नुकशान जरूर हुआ होगा । मान लिया कि दलितों को आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली होगी लेकिन दलित होने का दुःख भी कभी न कभी जरूर हुआ होगा ।
बात कर लेते हैं वर्तमान राजनीति की हम जाति की बात नहीं करेंगे विकास की बात करेंगे लेकिन विकास की बात तभी धरातल पर होगी जब आप जातिगत आधार पर हमें बोट देकर सत्ता में लेकर आएंगे ।
भारत वर्ष में ही नहीं परन्तु सारा संशार इससे अछुता नहीं है कहीं जाति का दोष विद्यमान है तो कहीं रंगों का भेद तो कहीं सम्प्रदाय रूपी राक्षस । मानवतावादी लोगों की कमी नहीं लेकिन ऐसे लोगों को तो मोक्ष चाहिए वो कुछ बोलेंगे नहीं ?
ऐसे मोक्ष भी नहीं मिलेगा आपको भी पाप लगेगा आप भी नरक के ही भागी होंगे । 
यह दोष जबतक समाप्त नहीं होगा किसी को मोक्ष नहीं मिलेगा । सब पापी कहलाएंगे । 
इसलिए जाति की बात छोड़ मानवता की राह पकड़नी होगी ।


आन्दोलन वाले नेता बात तो इन्सानियत की करेंगे मानवता वादी होने का दम भरेंगे लेकिन अपनी-अपनी तथा कथित जाति में मिलकर अपने भाग्य का निर्माण करेंगे जबकि अंततः वह भी नरक के भागी होंगे ।
आप सभी स्वतंत्र हैं गांधी, जयप्रकाश, अन्ना, पटेल, गुर्जर, जाट आदि आंदोलनों के नेता पर एक नजर डाल लें आपका ज्ञानवर्धन होगा और समाज के साथ-साथ देश का भी कल्याण होगा ।

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