Thursday 2 March 2017

गुरमेहर युद्ध होगा और निश्चित होगा

गुरमेहर युद्ध होगा और निश्चित होगा इसे टाला नहीं जा सकता ज्योतिष होने के नाते कहना चाहेंगे कि स्वतंत्र भारत की पत्रिका के अनुसार अभी चन्द्रमा की दशा चल रही है और मंगल की दशा आनी बांकि है ।
किसी भी युद्ध की तैयारी के लिए शांति प्रक्रिया का अमल और पहल किया जाता है साथ ही उचित समय की प्रतीक्षा करना भी कायरता नहीं है । युद्ध नहीं होगा हम मानव उसे टालने में या नियंत्रित करने में सफल होंगे ऐसा सोचना भी मुर्खता है फिर भी हमें सोचना चाहिए और निश्चित समयान्तराल में हुंकार भी भरना चाहिए चाहे वह शांति के लिए हो या युद्ध के लिए । 
श्री कृष्ण ने गीता में कहा है -
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा ।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः  ।।
अतः हे अर्जुन ! अपने सारे कर्मों को मुझमें समर्पित करके मेरे पूर्ण ज्ञान से युक्त होकर, लाभ की आकांक्षा से रहित, स्वामित्व के किसी दावे के बिना तथा आलस्य से रहित होकर युद्ध करो ।
श्री कृष्ण के विषय में सभी जानते हैं हमारी क्षमता भी नहीं कि मैं उनके तत्वों का बखान कर सकुं । लेकिन एक बात और जो कहना चाहेंगे कि सभी धर्म के धार्मिक पुस्तकों में युद्ध की चर्चा है । और कोई भी समानता हो या नहीं हो युद्ध की चर्चा और अधर्म पर धर्म का विजय सभी धर्मों में एक समान बताया गया है । धर्मानुसार पात्रों के नाम बदल जाऐंगे लेकिन अर्थ एक ही है युद्ध ही अधर्म को समाप्त करने का एक मात्र साधन है ।

आप हमसे सहमत हैं या नहीं हैं हम इसकी चिंता नहीं करते कल पात्र हम होंगे या आप इसको भी नहीं जानते लेकिन इतना जरूर कहना चाहते हैं कि अधर्म का अन्त करने के लिए युद्ध जरूरी है और वो निश्चित होगा । 
हमारे सनातन धर्म में अनेक जगहों पर चर्चा है कि अपने मातृभुमि की रक्षा के लिए युद्ध में मरने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है जिसे हम और आप शहीद कहकर सम्मानित करते हैं । हमारे संविधान युद्ध में मरने वाले को शहीद कहा जाता है कि नहीं इसकी चर्चा तो संसंद में ही हो लेकिन युद्ध होगा शहीद होंगे संविधान माने या न माने हमारा सनातन धर्म उसे शहीद मानता है और उसके आत्मा की शांति एवं मोक्ष हेतु प्रार्थना करता है । 
यह चर्चा तो आज इसलिए कर रहे हैं कि गुरमेहर कौर ने पोस्ट के माध्यम से प्रचारित किया कि मेरे पिता को पाकिस्तानियों ने नहीं मारा उनको युद्ध ने मारा है शतप्रतिशत सच बात है । तो क्या युद्ध नहीं होना चाहिए, इसका कोई तात्कालिक या दीर्घकालिक योजना कोई समझा सकता या बना सकता है आसान है कहना कि भाई-बहन का देश बनाएंगे पहले तो अपने मन को मानवता की ओर ले चलें और समझें कि युद्ध जरूरी क्यों होता है ।
गुरमेहर को जितनी समझ थी तथा उनकी माता ने उसे किसी कौम विशेष से नफरत करने से बचने की जो शिक्षा दी थी उसकी तारीफ होनी चाहिए हर मां-बाप को अपने बच्चों को ऐसी ही शिक्षा देनी चाहिए लेकिन अधर्मियों का नाश होना चाहिए तथा इसका नाश करने के लिए हम सभी को तैयार रहना चाहिए और अपने बच्चों में  भी धर्म के अनुरूप अधर्म से लड़ने का साहस भरना चाहिए । 
हमारे यहां तो धार्मिक पुस्तकों को जलाया जाता है फाड़ा जाता है और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर व्याख्यान दिये जाते हैं । बहुत दुःख हुआ था उस दिन जिस दिन मनुस्मृति को जेएनयु में फाड़ा गया उससे भी अधिक दुःख होता है वैसे अज्ञानी युवकों पर जो उसकी अनर्गल व्यख्या कर एसे सभ्यता के विरूद्ध बता कर किसी धर्म विशेष को आहत भी करते हैं और अपने अज्ञानता का परिचय भी देते हैं इसमें कुछ अध्यापक भी शामिल होते हैं । 
हम दावे के साथ कह सकते हैं शास्त्रों की समझ और व्याख्या आप तभी कर सकते हैं जब आपका दिमाग आपके वश में हो और आप नियमित शास्त्रों का अध्ययन करते हों शास्त्रानुकुल अपने आप को बनाने के लिए प्रयास रत रहते हा,ें नहीं तो आप किसी श्लोक या किसी अध्याय मात्र को पढ़कर अपने आप को कुंठित कर सकते हैं और दुसरे के दिमाग को भी दिग्भमित कर सकते हैं । विद्वान जनों अर्थात अध्यापकों को चाहिए कि ऐसे अज्ञानी लोगों का मार्गदर्शन करें न कि उसके अज्ञानता का लाभ लेकर अपने किसी विशेष कुंठित नीति से जनसामान्य को परेशान करें ।
श्री कृष्ण ने कहा है लाभ, आकांक्षा तथा स्वामित्व के दावे के बिना आलस्य रहित होकर युद्ध करो और ऐसा युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए या अधर्म पर धर्म की विजय के लिए ही होता है । आप सभी पाठकों को सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि श्री कृष्ण की उपस्थिति तथा उनके नेतृत्व में ही महाभारत हुआ था युद्ध टालना संभव होता तो महाभारत नहीं होता । हम कहना चाहते हैं कि किसी समस्या का प्रारंभ युद्ध नहीं है लेकिन अंत युद्ध से ही संभव है चाहे इसके परिणाम कितन भी भयावह हों । युद्ध भी होगा और अधर्म की पराजय भी होगी चाहे अधर्मी कोई भी हो........................................

No comments:

Post a Comment

Lot of thanks