सबसे पहले तो कहेंगे कि हमारे शास्त्रीय पुस्तकों तथा वेदों में ऐसा नहीं बताया गया है कि राशिनुसार नित्य नए रंगों के प्रयोग से भाग्य बदल सकता है या किसी अशुभ परिणामों को शुभ परिणामों में परिवर्तत करता है । अगर किसी ने ऐसा शास्त्रीय पुस्तकों में पढ़ा हो तो जरूर हमें मेल करके बताएं साथ ही संबंधित पुस्तक का नाम भी बताएं । जो लोग ऐसी व्याख्या करते और जो अनुकरण करते हैं उसे भी समझना चाहिए कि हम शास़्त्रों की सार्थक व्याख्या होनी चाहिए न कि निरर्थक ।
यह भी बताना चाहेंगे कि किसके लिए कौन सा रंग शुभ है और जीवन भर वो रंग शुभ रहेगा ऐसा बताना संभव है वो भी लग्न व राशि तथा उसके स्वामी के स्वभाविक रंग के आधार पर ।
सर्व प्रथम तो पराशर के अनुसार राशियों के रंग का वर्णन करते हैं -
मेष - रक्त वर्ण, बृष - श्वेत, मिथुन - हरा, कर्क - पाटल, सिंह - पाण्डवर्ण, कन्या - चित्रवर्ण, तुला - कृष्ण वर्ण, बृश्चिक - पिशांगवर्ण, धनु - चित्रवर्ण, मकर - चित्रवर्ण, कुंभ - भुरेवर्ण तथा मीन - सफेदवर्ण का कहा गया है ।
किसी के लिए लग्न या राशि तथा उसके त्रिकोण राशि के रंग को शुभ कहेंगे । लग्न या राशि के स्वामी के मित्र ग्रहों की राशि के रंगों को शुभ कहेंगे ।
जब ग्रह और राशियों के रंग नित्य नहीं बदलते तो हमारे लिए नित्य नए रंगों का शुभ या अशुभ होना कैसे संभव है । चन्द्रमा के आधार पर बताया जाए तो भी चन्द्रमा एक ही राशि में 54 से 56 घंटे तक गोचर करते हैं तत्पश्चात ही राशि परिवर्तन करते हैं लेकिन हम जैसे ज्योतिष तो प्रतिदिन ही अलग-अलग रंग हमारे लिए शुभ और अशुभ बताते हैं ।
यदि कोई सिद्धान्त होता तो सभी ज्योतिष एक जैसा ही रंग बताते लेकिन यहां तो मेष के लिए कोई लाल बताता तो कोई हरा अन्य कोई रंग बता जाता है किसको सही माने किसको गलत । सिद्धान्त पर आधारित होता तो बारह के बारह राशियों के लिए सभी ज्योतिष किसी भी दिन के लिए एक समान ही रंगों को बताते ऐसा नहीं देखा गया । यहां यह भी कहना संभव नहीं है कि किसको ज्ञान है और कौन अज्ञानी क्योंकि ज्योतिष में विश्वास करने वाले सभी लोग ज्योतिषियों को विद्वान ही मानते हैं ।
कहा गया है आपरूप भोजन और पररूप श्रींगार आज के परिवेश में तो और भी आगे की बात समझ में आती है कि आयोजन एवं जरूरतों के अनुकुल रंगों का चयन करना चाहिए और लोग करते हैं ये बहुत अच्छी बात है ।
हम ज्योतिष के मानने वाले को सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि आप राशि के रंगों का ध्यान में रख सकते हैं तथा अपने रंग-रूप, आकृति-प्रकृति एवं आयोंजन के आधार पर रंगों का चयन कर रंगों का प्रयोग कर सकते हैं आपके मन को सकुल मिलेगा ।
ऐसे अंधविश्वासों से आप खुद भी बचें और औरों को भी बचाने का प्रयास करें नहीं तो धीरे-धीरे लोगों का विश्वास हमारे ज्योतिष शास्त्रों से उठ जाएगा ।
आग्रहपूर्वक पुनः कहना चाहेंगे कि यदि विद्वान ज्योतिष ने कहीं भी ऐसा सिद्धान्त पढ़ा और उसकी व्याख्या की हो तो उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि हम अपना ज्ञानवर्धन कर सकें और अन्य लोगों का विश्वास नित्य नए रंगों के प्रति गहरा हो सके और अधिक से अधिक लोग मान सकें ।