Wednesday 14 September 2016

समस्याओं का हल शास्त्रानुसार



गुजरात, हरियाणा, कश्मीर तथा कर्नाटक के साथ देश के सभी समस्याओं का हल शास्त्रों ने एक ही पंक्ति में समेट रखा है । शासक अपने गुण स्वरूप (कर्तव्यों) के अनुरूप क्यों नहीं चलते ।
आज के परिवेश में सभी लोग जो राष्ट्र के विषय में सोचते हैं या समाचार सुनते और अपनी-अपनी राय बनाते हैं उन सभी के लिए एक प्रश्न जो महाभारत में श्री कृष्ण से अर्जुन ने पूछा - हे वृष्णिवंशी ! मनुष्य न चाहते हुए भी पापकर्मों के लिए प्रेरित क्यों होता है ? ऐसा लगता है कि उसे बलपूर्वक उनमें लगाया जा रहा हो । 
आज के परिवेश में इस बात को यथार्थ रूप में कहीं भी देखा जा सकता है वर्तमान समय में हमारे द्वारा चुने हुए हमारे प्रतिनिधि जो सरकार के साथ संविधान के अन्तर्गत अच्छे कार्यों का सहयोग और बुरे कार्यों का विरोध कर आमजनों के हित के लिए काम करे जो उनकी जिम्मेदारी है ।
लेकिन वे क्यों पापकर्मों के लिए प्रेरित होते और आम लोगों को भी प्रेरित कर राष्ट्र का नुकशान करते हैं । राजनैतिक लाभ-हानि की बात यदि होती रही तो हम विश्व गुरु कैसे बनेंगे । 

आरक्षण की बात हो, पानी की बात हो, कश्मीर की बात हो, सामाजिक न्याय की बात हो, गौ हत्या की बात हो राम मंदिर की बात हो चाहे महिला उत्पीड़न की बात हो, दलित उत्पीड़न की बात हो किसी का समाधान क्यों नहीं हो पाता । क्या यह लोकतंत्र की जटिलता के कारण हो रहा या हमारी कुत्सित मानसिकता के कारण  
हमारा देश विविधता में एकता को मानने वाला है हमारी संस्कृति मानव कल्याण की बात सिखाता है तो विरोध किस बात के लिए होता है । सरकार के द्वारा बनाये कानुन को भी जन समुहों के द्वारा तोड़ा जा सकता है, संविधान पर चलने वाले देश में मुट्ठी भर लोग एकत्रित होकर संविधान की अवहेलना कर सकता है तो कानुन और सरकार का औचित्य क्या है ? सरकार की जिम्मेदारी है आम लोगों से कानुन का पालन करवाना तो राजनैतिक लाभ-हानि के लिए आम लोगों को उकसा कर धरना-प्रदर्शन, जुलुस आदि के नाम पर सरकारी सम्पत्ति का नुकशान और आम लोगों के जान-माल की क्षति पहुंचा कर किसका लाभ होता है ।
गुजरात व हरियाणा में आरक्षण के नाम पर, कश्मीर में आजादी के नाम पर, पुरे देश में गौ हत्या के नाम पर, कर्नाटक में पानी के नाम पर कब तक हम देश का नुकशान करते रहेंगे ।
हल जब सरकार के पास नहीं तो आम इंसान को गीता ही याद आता है । इश्वर सबको गीता का ज्ञान दें और हमारे देश में शांति और सदभाव बना रहे । ऐसे सभी मुद्दों का हल संभव है इसके लिए सभी सरकार व राजनैतिक लोगों को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा । शास्त्रों में कहा गया है कि राजा को क्रूर होना ही चाहिए । 
हमने वेदांग ज्योतिष में भी पढ़ा है कि सूर्य राजा के कारक होते हैं और सूर्य के गुण स्वरूप में क्रूरता स्वभाविक होता है तो इस सनातन सत्य को क्यों नहीं मानते और बल पूर्वक ऐसे आन्दोलन का दमन क्यों नहीं किया जाता । 
ज्योतिषाचार्य श्रवण झा “आशुतोष”
मो0 - 9911189051